Pages

Sunday, April 15, 2012

दौगल चलि जाएब गाम :: किशन कारीगर


दौगल चलि जाएब गाम

मनुक्ख दौग रहल अछि मचल अछि आपा-धापी
जतए केकरो कियो ने चिन्ह रहल अछि
एहेन नगर आ पाथर हृदैसँ दूर
एखने होइए जे दौगल चलि जाएब गाम।।

लोहाक छड़ आ सीमेंट कंक्रीटसँ बनल
ओना तँ ई एकटा आधुनिक महानगर अछि
मुदा शहरक ऐ‍ आपा-धापीमे
मनुक्खक हृदए जेना पाथर भऽ गेल अछि।।

किएक मचल अछि आधुनिकताक ई हरबि‍र्ड़ो?
कि भेटत ऐ‍सँ कियो ने किछु बूझि रहल अछि
जेकरे दूखू रूपैयाक ढेरी लेल अपसियाँत रहैत अछि
पाथर हृदए मनुक्ख मानवताक मूल्य केने अछि जीरो।।

लिफ्ट लागल उ दसमंजिला मकान
एक्के फलैटपर रहितौ लगैत छी अनजान
ओ अड़ोसी हम पड़ोसी मुदा
एक दोसर के नै कोनो जान-पहि‍चान।।

कहू एहेन कंक्रीटक शहर कोन काजक
आधुनिकताक काल कोठरी अछि साजल
ऐ‍ चमचमाइत कोठरीमे कियो ने केकरो चिन्ह रहल अछि
रूपैयाक खातिर आबक मनुक्ख की कि ने कऽ रहल अछि।।

इति‍यौत-पितियौत ममियौत-पिसियौत जेकरा देखू
अपनेमे मगन चिन्हा परिचेसँ कोन काज
आधुनिकताक काल कोठरीमे आब
अनचिन्हार भऽ गेलाह जन्मदाता बूढ़ माए-बाप।।

शहरक एहेन अमानवीय आपा-धापी देखि‍ कऽ
पसीज गेल हमर हृदए
एहेन अनचिन्हार नगर छोड़ि कऽ मोन होइए
एखने आब दौगल चलि जाएब गाम।।

हे यौ भलमानुस आधुनिक मनुक्ख
एहेन अनचिन्हार नगर ने नीक
ऐ‍ कंक्रीटक महलसँ एक बेर तँ देखू
गामक कोनो टूटली मरैया बड्ड नीक।।

मनुक्ख एक दोसरकेँ चिन्ह रहल अछि
चिड़ै चुनमून चॅू चॅू कए रहल अछि
रस्ता-पेरा निश्छल प्रेमक धार बहि रहल अछि
हरियर-हरियर खेत-पथार आइ सोर कऽ रहल अछि।।

टूटलाहा टाट खर-पतारक किछु घर
जतए नै कियो अनचिन्हार नै कोनो डर
चौबटिया लग फड़ैत अछि खूम आम
एहने नगरक औ बाबू लोग कहैत छैक गाम।।

No comments:

Post a Comment