पछिला गणित
आइसँ गणित पढ़ए जाइ छी
अहूँ किछु सिखा दिअ भाय।
घरसँ निकलि ने इस्कूल जेबै
घरक गणित बुझा दिअ भाय।
अहाँ भैयारी नै सहोदर छी
झूठ नै बाजब अहाँसँ
गणित तँ हमहूँ पढ़ने छी
लाभ कते हएत हमरासँ।
धुर-कट्ठा, बीघा पढ़ने छी
पढ़ने छी सेर-पसेरी।
कनमा-पौआ, बोरा पढ़ने
चौअन्नी-अठन्नी आ भरी।
अाब कहाँ चरचा चलै छै
ऐ सभ हिसाबक भाय।
तखन केना मेल बैसत
बुझा दिअ कनी हमरो भाय।
एक चलैत शहर-बजार
दोसर, गाम-देहात चलैत।
दुनूक गोरा जखन एकठाम
बैसि अपन िनर्णए करत।
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