Pages

Wednesday, April 11, 2012

हूसि‍ गेल :: जगदीश मण्‍डल


हूसि‍ गेल

हूसि‍ गेल सभ खेल खेलौना
हूसि‍ गेल सभ मन-वि‍चार।
जीवन संग जि‍नगी पि‍छड़ि‍
ससरि‍ गेल इजोत-अन्‍हार।
अन्‍हारे उपकि‍ अनचि‍न्‍ह
अन्‍हार केना अधला लगतै।
इजोत-अन्‍हार भेद बि‍नु बुझने
राति‍-दि‍न भजए लगलै।
जेकरे दि‍न तेकरे राति‍
राति‍येक दि‍न कहाबए लगलै।
दहि‍ना-वामा रंग-सि‍याही
नव-नव शब्‍द गढ़ए लगलै।
जहि‍ना सि‍याह सि‍याही बनि‍
हरि‍अर-लाल कहाबए लगलै।
कोरा कागज ऊपर ससरि‍
हारि‍-जीत लि‍खए लगलै।
ऊपर उठा, उठा ऊपर
खेल धोबि‍या खेलए लगलै।
घुमा-घुमा, नचा-नचा
घाट धार पटकए लगलै।
मड़ू-अधमड़ू बना-बना
घुमा-घुमा फेकए लगलै।
गाड़ीक अगुआ पछुआ पकड़ि‍
जुआ जोति‍ खिंचए लगलै।
रंग-बि‍रंग जुआ बनि‍-बनि‍
खेल-खेलौना कहबए लगलै।
हूसि‍ गेल सभ खेल खेलौना
हारि‍-हारि‍ मन तड़पए लगलै।

       ))((

No comments:

Post a Comment