Pages

Tuesday, April 10, 2012

गीत :: जगदीश मण्‍डल


गीत

हे बहि‍ना, हे बहि‍नी
जीवन संग जि‍नगी बदलै छै।
अपने बदलि‍ कि‍छु, कि‍छु बदलैयो पड़ै छै
कि‍छु अपने सुधरि‍, कि‍छु सुधारैयो पड़ै छै।
जीवन संग जि‍नगी बदलै छै। हे बहि‍ना
हे बहि‍नी, जीवन....
संगे-संग मि‍लि‍ खेललौं-धुपलौं
संग-संग रहि‍ संगी कहलौं।
पकड़ि‍ बाँहि‍ बहि‍ना कहेलौं
फूल-प्रीत बनि‍ सासुर बसलौं
हलसि‍-हलसि‍ मन हँसै छै
जीवन संग जि‍नगी बदलै छै
हे बहि‍ना, हे बहि‍नी
एक बहि‍न ओद्रक कहबै छै
सहस्रो समाज गढ़ै छै।
बहि‍नासँ दीदी, दीदीसँ दादी
हँसि‍ हँसि‍ मन तड़पै छै।
हे बहि‍ना, हे दि‍दगर
जीवन संग जि‍नगी चलै छै।
चलि‍-चलि‍ रंग बदलै छै
हे बहि‍ना, हे बहि‍नी
जीवन संग जि‍नगी बदलै छै।
(())

No comments:

Post a Comment