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Thursday, April 26, 2012

हरा-पड़ा ढेरि‍आएल :: जगदीश मण्‍डल


गीत-

हरा-पड़ा ढेरि‍आएल ढेर
भोर-साँझ भूमकैत रहै छै।
भोर-साँझ....।
जइ डीह चढ़ि‍ नढ़ि‍या भूकै
उसरन-वि‍सरन होइत रहै छै
उसरन-वि‍सरन होइत रहै छै।
हरा-पड़ा...।
तान मारि‍, मारि‍ तानि‍ कि‍यो
छि‍नकि‍-छि‍नकि‍ छि‍छि‍आइत रहै छै।
छि‍नकि‍-छि‍नकि‍ छि‍छि‍आइत रहै छै।
हरा-पड़ा...।
बान्‍हल दौन कराम जहि‍ना
उरदा-खेरहा दौन करै छै
आसा-आस लागि‍ लगौने
ति‍ले-ति‍ल ति‍लमि‍लाइत चलै छै।
हरा-पड़ा ढेरि‍आएल ढेर
भोर-साँझ भूमकैत रहै छै।
भाेर-साँझ...।

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