चिक्कनि माटि
सभ कोइ जाइ छै मािट आनए माए
हमहूँ जाएब अनैले।
चारिमे दिन दिआरी पावनि
घर-ओसार छछाड़ैले।
अखैन ते बच्चा छेँ बेटी
केना कहबौ मािट माथ उठबैले
मटिखोभा महारक ऊपर
केना कहबौ तइ चढ़ैले।
जेना-जेना सभ करतै माए
तेना-तेना हमहूँ करबै।
संगे जेबै, संगे एबै
पथिया भरि कऽ लौबै।
कहले तँ बड़ सुन्नर बेटी
नै बुझविही माटिक किरदानी।
जे माटि चमकबै माटिकेँ।
धसना खसि मारै जिनगानी।
दोसर-तेसर काज उताहुल
नै जा एहत आइ हमरा।
संगे-संग काल्हि चलिहेँ बेटी
तोरे अाशा ने अछि हमरा।
))((
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