गीत
ओढ़ि दुपट्टा नम-गम केर
बति वसंती बौड़ाइ छै।
खटमीठ रस चूसि-चूसि
तिरपित भए औनाइ छै।
सुरभि सुगंध पीबि सिहरि
कू-कू कए कुकूआइ छै।
चेत मन मधु स्वर तानि
बिलति-बिलति बिलबिलाइ छै
दसो दुआरि दृष्टि दौगाए
चनकि चैत चुनचूनाइ छै।
(ओढ़ि दुपट्टा नम-गम केर...,
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ई गीत श्री शिवकुमार झा ‘टिल्लू'जी लेल..)
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ई गीत श्री शिवकुमार झा ‘टिल्लू'जी लेल..)
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