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Tuesday, April 10, 2012

ओढ़ि‍ दुपट्टा :: जगदीश मण्‍डल


गीत

ओढ़ि‍ दुपट्टा नम-गम केर
बति‍ वसंती बौड़ाइ छै।

खटमीठ रस चूसि‍-चूसि‍
ति‍रपि‍त भए औनाइ छै।

सुरभि‍ सुगंध पीबि‍ सि‍हरि‍
कू-कू कए कुकूआइ छै।

चेत मन मधु स्‍वर तानि‍
बि‍लति‍-बि‍लति‍ बि‍लबि‍लाइ छै

दसो दुआरि‍ दृष्‍टि‍ दौगाए
चनकि‍ चैत चुनचूनाइ छै।
  
(ओढ़ि‍ दुपट्टा नम-गम केर..., 
            (())


ई गीत श्री शि‍वकुमार झा टि‍ल्‍लू'जी लेल..)

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