गीत-
उठिते आगि तनकि मन
मुक्का छाती मारि कहै छै,
ताल-ताल मिला बेताल
संग बाँहि आवाज भरै छै।
उठिते आगि तनकि मन....।
चढ़िते कातिक गाछी-बिरछी
गाम-गाम अखाड़ सुनाइ छै,
जाड़-हाड़ संग मिलि दुनू
जड़िआएल जाल तोड़ैत रहै छै।
उठिते आगि तनकि मन....।
सुषुम तेल तरहत्थी जहिना
बच्चा सिर धड़ैत रहै छै
धरिते तेल पकड़ि केश
अगिआइत आगि पाबैत रहै छै।
उठिते आगि तनकि मन,
मुक्का छाती मारि कहै छै।
ताल-ताल मिला बेताल
संग बाँहि आवाज भरै छै।
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