अखड़ा जिनगी
अखड़ा जिनगी सखड़ा बनि-बनि
शुद्ध-अशुद्धक भेद विलीन भेल।
शक्ति चढ़ल जहिना शीशा
नयन ज्योति बदलि चलि गेल।
आशा-आश लगौने मनमे
फल-कुफल बदलि केना गेल।
नै बूझि समझि नै पेलौं
बाटे-घाट बदलि चलि गेल।
अखड़ा जिनगी सखड़ा बनि-बनि
शुद्ध-अशुद्धक भेद विलीन भेल।
जल भरल लोटा अछींजल
शक्ति क्षीण होइत केना गेल।
शक्ति क्षीण होइत हबाइत
अवगुण-गुण बदलि केना गेल।
मानि मान ससरि सामान
खाली-खाली बनि केना गेल।
अखड़ा जिनगी सखड़ा बनि-बनि
शुद्ध-अशुद्ध बीच बदलि केना गेल
मानने देव नै तँ पाथर
जुग-जुगसँ सुनैत एलौं।
पाथर बीच देव विराजए
पानि-हवा लुढ़कैत एलौं।
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