Pages

Tuesday, April 10, 2012

पग-पग :: जगदीश मण्‍डल


गीत
पग-पग उठैत पएर
सत रंग गीत गबैत चलैए।
कखनो आगू कखनो पाछू
उनटि‍-पुनटि‍ देखैत चलैए
सतरंगी गीत गबैत चलैए।
आगू-पाछूक भेद बि‍नु बुझने
ससरि‍-ससरि‍ ससरैत रहैए
जि‍नगीक शुक्‍ल-कृष्‍ण बीच
चीत-पट होइत चलैत रहैए
सतरंग गीत गबैत चलैए।
कखनो वि‍रह कखनो वसंत
भाव-वि‍भोर गबैत चलैए।
वसंतक राग-तान, तानि‍
वेदना वि‍रह बि‍खड़ैत चलैए
सतरंग गीत गबैत चलैए।
क्षण-पल जहि‍ना दि‍न कहाबए
राति‍यो-राति‍ रीति‍आएल चलैए
कखनो दौड़, कखनो ठमकि‍
आसा-आस घि‍सि‍आइत चलैए
सतरंग गीत गबैत चलैए।
     (())

No comments:

Post a Comment