गीत-
हे बहिना, हे दीदी, हे दादी
सुरति केना बदलतै हे...
प्रीतिक रीति कुरीत बनल छै
रीति-सुरीति केना पेबै
थाल-खिचार घर-द्वार बनि
फल वृक्ष कल्प कहिया देखबै।
हे बहिना हे संगी, हे प्रेमी
सुरति केना बदलते हे....
जहिना जहर तहिना फुफकार
नाग, गहुमन डॅसैत रहै छै।
करम-भाग मनतर जपि-जपि
अगुआ-पछुआ धरैत रहै छै।
हे प्रीतिया हे रीतिया
नीक फल कहिया देखबै
हे नीक फल कहिया देखबै।
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