गीत-
बेकाल-काल कुहुकैत रहै छै
समसमाइत घुसुकैत रहै छै।
समसमाइत घुसुकैत रहै छै।
जेहन जेकर फूल रहै छै
कोढ़ी-वाती तेहने बनै छै।
बेकाल-काल कुहुकैत रहै छै।
समसमाइत घुसुकैत रहै छै।
कोढ़िक कोढ़िपना नहि-नहि
रूपक रूपगामिनी रहै छै।
ससरि-सड़कि बदलि रूप
फूल कखनो बाती बनबए लगै छै।
बेकाल-काल कुहुकैत रहै छै।
समसमाइत घुसुकैत रहै छै।
कोलोक कि कम अछि किरदानी
अकाल-सकाल बनबैत रहै छै।
सुति-जगि सभ चलि-चलि
गाल-काल बनबैत रहै छै।
गाल-काल बनबैत रहै छै।
बेकाल-काल कुहुकैत रहै छै।
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