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Saturday, July 21, 2012

अंजनी कुमार वर्मा “दाऊजी” - समस्या



आबक लोक की करत बसंतक अनुभव
की सुनत कोइलीक गीत
की घुमत पुष्प वाटिका में ,
कपार पर राखल करिया पाग कए
उघैत - उघैत बनल रहैछ बताह
नहि पाबि सकैछ थाह
नहि सुति सकैछ सुख सं
नहि बाजि सकैछ दुःख सं
गोंताह पानि में डूबल रहैछ कंठ धरि
छटपटाइत रहैछ, बऊआयत रहैछ मन
सपनहूँ में देखैछ सदिखन दुःख धंधा
घेंट में लागल फंदा ,
नहि रौदक चिंता अछि,नहि पानिक
मात्र चिंता अछि सबकें अप्पन पेटक
फंदा लागल घेंटक ....

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