किछु ने करै छी :: जगदीश प्रसाद मण्डल
किछु ने करै छी......
किछु ने करै छी, मीत यौ
किछु
ने करै छी।
गेड़ू-चौक
मारि गनगुआरि बनि
दिन-राति
रमल रहै छी।
मीत यौ
किछु ने करै छी।
जरि-मरि
गेल मन-कामना
समए
संगम संग रमल छी
मीत यौ
किछु ने करै छी।
बोनक
बाट आगू छै
उत्तरे-दछिने
धार बहल छै
घटि-घटि
घटिया घाट बनि
घोंटे-घोट
पीबैत रहै छी
मीत यौ
किछु ने करै छी
ससरि-ससरि
ससरति रहै छी
गाछ
उतरि धरती पकड़ि
लछमी-नाग
कहबैत रहै छी
मीत यौ
किछु ने करै छी।
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